सही लेकिन है अमूल्य वह पुत्र मज़दूर कहलाता हैं। सही लेकिन है अमूल्य वह पुत्र मज़दूर कहलाता हैं।
खुद रूखा-सूखा खाता है, एक पिता पुत्र को खिलाता है, काजू, बादाम, पिता खुद रूखा-सूखा खाता है, एक पिता पुत्र को खिलाता है, काजू, बादाम, पिता
क्या विश्वास नहीं था मुझ पर जो तेरे प्रेम को तरस गई क्या विश्वास नहीं था मुझ पर जो तेरे प्रेम को तरस गई
उषा की सिंदूरी चुनरी जब लहराती है, रंभा मेरी संजीवनी जब पोटली में बाँध देती है, उषा की सिंदूरी चुनरी जब लहराती है, रंभा मेरी संजीवनी जब पोटली में बाँध देती ...
जब अनुज ने अग्रज को ही अपने जीवन का स्तम्भ बनाया। जब अनुज ने अग्रज को ही अपने जीवन का स्तम्भ बनाया।
कुछ जादू तो था उनमें भी बाकी भूल हमारी थी लूट लिया आखिर हमको ही उनकी चौकीदारी थी। कुछ जादू तो था उनमें भी बाकी भूल हमारी थी लूट लिया आखिर हमको ही उनकी चौकीदारी...